Raji Akka Auto Driver: कभी आपने सोचा है कि एक साधारण ऑटो रिक्शा में बैठने पर आपको सिर्फ मंज़िल तक पहुँचाने से ज्यादा क्या मिल सकता है? चेन्नई की सड़कों पर दौड़ता हुआ एक ऐसा ऑटो है, जिसे लोग सिर्फ सवारी का साधन नहीं बल्कि दुआओं का ज़रिया मानते हैं। उस ऑटो की ड्राइवर हैं – राजी अशोक, जिन्हें लोग प्यार से ‘राजी अक्का’ कहते हैं।
राजी अशोक की उम्र 51 साल है और पिछले 25 सालों से वे ऑटो रिक्शा चला रही हैं। लेकिन उनकी पहचान सिर्फ एक महिला ड्राइवर की नहीं, बल्कि एक संवेदनशील इंसान की है, जो बच्चों, बुजुर्ग महिलाओं और ज़रूरतमंद लोगों को मुफ्त में सवारी करवाती हैं।
संघर्षों से बना सफर
राजी का जन्म चेन्नई में हुआ था। उनके पिता कैटरिंग का काम करते थे और वे आठ भाई-बहनों में पली-बढ़ीं। उन्होंने फिलॉसफी में स्नातक की पढ़ाई की। पढ़ाई के दौरान ही उनकी मुलाकात अशोक से हुई, जो ऑटो रिक्शा चलाते थे। साल 1992 में दोनों ने शादी कर ली और कोयंबटूर में रहने लगे।
शादी के बाद राजी ने एक ट्रैवल एजेंसी में काम शुरू किया। बेटी और बेटे का जन्म हुआ, और ज़िंदगी सामान्य चल रही थी। लेकिन 1998 में कोयंबटूर में हुए बम धमाके ने सब कुछ बदल दिया। उस हादसे ने उनके परिवार की ज़िंदगी को झकझोर दिया और उन्हें चेन्नई आकर नई शुरुआत करनी पड़ी।
ऑटो चलाने का निर्णय
चेन्नई आने के बाद राजी ने कई जगह नौकरी के लिए इंटरव्यू दिए, लेकिन सफलता नहीं मिली। आखिरकार पति से बात करने के बाद उन्होंने ऑटो रिक्शा चलाने का फैसला किया। परिवार ने उनका पूरा साथ दिया। शुरू में चेन्नई की भीड़-भाड़ वाली सड़कों पर चलाना आसान नहीं था, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने हालात को काबू में करना सीख लिया।
दूसरों के लिए बनी सहारा
राजी अक्का का मानना है कि महिलाएँ अक्सर रात में सफर करने से डरती हैं। उन्होंने ठान लिया कि वे कभी भी किसी महिला को परेशानी में अकेला महसूस नहीं होने देंगी। उनका फोन नंबर उनके ऑटो पर लिखा होता है और रात के समय भी वे महिलाओं को एयरपोर्ट या अन्य जगह सुरक्षित पहुँचाने से पीछे नहीं हटतीं।
उन्होंने एक घटना का ज़िक्र किया—एक बार उन्होंने देखा कि एक नशे में धुत ड्राइवर रात में एक महिला को ले जा रहा था। तभी से उन्होंने संकल्प लिया कि जब तक वे ऑटो चला सकती हैं, हर महिला को सुरक्षित पहुँचाने की जिम्मेदारी उनकी होगी।
अनोखी सेवा और संवेदना
राजी के ऑटो में सिर्फ सवारी की सुविधा ही नहीं, बल्कि इंसानियत की झलक भी मिलती है। उनके ऑटो में फर्स्ट एड किट मौजूद रहती है जिसमें पैरासिटामोल, कॉटन, बैंडेज और सर्जिकल पैड जैसी ज़रूरी चीज़ें होती हैं। इसके साथ ही वे अपने यात्रियों को पानी की बोतल और बिस्कुट भी देती हैं। सफर चाहे लंबा हो या छोटा, उनके यात्री खुद को घर जैसा सुरक्षित महसूस करते हैं।
मेहनत और सम्मान
आज राजी अक्का रोज़ाना कम से कम 30 यात्राएँ पूरी करती हैं और महीने में 38,000 से 40,000 रुपये तक कमा लेती हैं। लेकिन उनके लिए कमाई से ज्यादा मायने रखता है लोगों का भरोसा और आशीर्वाद। यही वजह है कि चेन्नई की गलियों में लोग उन्हें सिर्फ ड्राइवर नहीं, बल्कि एक बड़ी बहन की तरह मानते हैं। राजी अशोक की ज़िंदगी हमें यह सिखाती है कि मुश्किलें चाहे जितनी भी बड़ी क्यों न हों, हिम्मत और इंसानियत के सहारे हर राह आसान हो सकती है।
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी उपलब्ध स्रोतों और विवरण पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल प्रेरणा और जानकारी देना है।