IAS Shweta Bharti Success Story: सब जानते हैं कि यूपीएससी की तैयारी आसान नहीं होती। लोग मानते हैं कि इस परीक्षा में सफल होने के लिए कोचिंग, लंबे समय तक पढ़ाई और पूरी तरह पढ़ाई पर ही ध्यान देना ज़रूरी है। लेकिन बिहार की बेटी श्वेता भारती ने इस सोच को पूरी तरह बदल दिया। उन्होंने यह साबित किया कि नौकरी और ज़िम्मेदारियों के बीच भी अगर हिम्मत और अनुशासन हो, तो कोई सपना अधूरा नहीं रह सकता।
श्वेता भारती आज 2022 बैच की IAS अधिकारी हैं और बिहार कैडर में असिस्टेंट कलेक्टर के पद पर कार्यरत हैं। उनकी सफलता सिर्फ उनकी नहीं, बल्कि हर उस युवा की प्रेरणा है जो अपनी परिस्थितियों के बावजूद बड़े सपने देखने की हिम्मत करता है।
बचपन से ही बड़ा सपना
11 अगस्त 1995 को बिहार के नालंदा ज़िले के राजगीर बाज़ार में जन्मी श्वेता का बचपन बिल्कुल साधारण था। उनके पिता, सुरेश चौधरी, शिक्षा विभाग में डिप्टी डायरेक्टर रहे और हमेशा पढ़ाई को प्राथमिकता दी। इसी माहौल ने श्वेता को आगे बढ़ने का जज़्बा दिया। उन्होंने पटना के ईशान इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल से पढ़ाई की और फिर भागलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज से इलेक्ट्रिकल और टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में बी.टेक पूरा किया।
कॉर्पोरेट नौकरी और सिविल सेवा का सपना
ग्रेजुएशन के बाद श्वेता को विप्रो जैसी बड़ी कंपनी में नौकरी मिली। लेकिन दिल में सिविल सेवा का सपना हमेशा ज़िंदा रहा। कई लोग तैयारी के लिए नौकरी छोड़ देते हैं, लेकिन श्वेता ऐसा नहीं कर सकीं। पारिवारिक ज़िम्मेदारियों के कारण उन्होंने नौकरी जारी रखी और 9 घंटे की ड्यूटी के बाद रात को यूपीएससी की तैयारी की।
अनुशासन और त्याग की मिसाल
श्वेता ने अपने जीवन से ध्यान भटकाने वाली हर चीज़ को दूर कर दिया। उन्होंने स्मार्टफोन और सोशल मीडिया का इस्तेमाल पूरी तरह छोड़ दिया। दोस्तों से मिलना-जुलना कम किया और समय का सख्ती से पालन किया। उनकी मेहनत इस बात की मिसाल है कि पढ़ाई का मतलब घंटों किताबों में डूबना नहीं, बल्कि सीमित समय का सही उपयोग करना है।
बीपीएससी से मिली शुरुआती सफलता
यूपीएससी से पहले श्वेता ने बीपीएससी की परीक्षा पास की। 2020 में उन्होंने 65वीं बीपीएससी में 65वां रैंक हासिल किया और पश्चिम चंपारण ज़िले में जिला कार्यक्रम पदाधिकारी के रूप में काम किया। इससे पहले भी वे 64वीं बीपीएससी में चयनित हो चुकी थीं। लेकिन उनका लक्ष्य सिर्फ यूपीएससी था और उन्होंने इस अनुभव को अपने सपने तक पहुँचने का साधन बनाया।
यूपीएससी की ऐतिहासिक जीत
साल 2021 में श्वेता ने दूसरी बार यूपीएससी की परीक्षा दी और अखिल भारतीय रैंक 356 हासिल की। उनके लिखित परीक्षा में 774 अंक और इंटरव्यू में 168 अंक आए, कुल मिलाकर 942 अंकों के साथ वे देश की सबसे कठिन परीक्षा में सफल हुईं। यह उपलब्धि उनके अनुशासन, मेहनत और अडिग विश्वास की जीत थी।
संदेश: विश्वास रखो, आगे बढ़ो
श्वेता का मानना है कि UPSC पास करने के लिए कोचिंग ज़रूरी नहीं है। उन्होंने दिखा दिया कि सीमित समय, सही रणनीति और मानसिक मजबूती से भी सफलता मिल सकती है। वे कहती हैं कि रोज़ 10–12 घंटे पढ़ने की ज़रूरत नहीं, बल्कि ज़रूरी है साफ़ समझ, स्मार्ट स्टडी और आत्मविश्वास।
प्रेरणा बन चुकी हैं IAS श्वेता भारती
आज IAS श्वेता भारती भागलपुर में असिस्टेंट कलेक्टर के रूप में कार्यरत हैं। उनका जीवन युवाओं के लिए एक मिसाल है खासतौर पर उन महिलाओं और नौकरीपेशा लोगों के लिए जो अपने सपनों को हालात के आगे झुकाने से इनकार करते हैं। उनकी कहानी सिर्फ एक परीक्षा पास करने की नहीं है, बल्कि इस बात की गवाही है कि सफलता परिस्थितियों की नहीं, बल्कि हमारे फैसलों और मेहनत की होती है।
Disclaimer: यह लेख केवल प्रेरणात्मक उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई जानकारी उपलब्ध स्रोतों और तथ्यों पर आधारित है।
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